Mukhyamantri Ghasyari Kalyan Yojana 2022 मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना 2022

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Mukhyamantri Ghasyari Kalyan Yojana 2022 मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना 2022

  उत्तराखंड राज्य की वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग  71  % से अधिक आबादी आजीविका के लिए कृषि एवं पशुपालन पर आधारित है, जिनमें से 64 % महिलायें पशुपालन एवं कृषि कार्य करती हैं। इन महिलाओं को पशुओं के लिए चारा एकत्रित करने जंगलों में मीलों पैदल चलना पड़ता है। पशुओं के लिए चारा काटने और बोझ उठाकर पहाड़ी इलाकों में चलने से जंगली जानवरों से जान का खतरा होने के साथ ही पीठ, कमर एवं गर्दन के दर्द का सामना करना पड़ता है। गौरतलब है कि प्रदेश में पशुओं के चारे की औसत कीमत प्रति किलोग्राम रु 15 है। जिसके कारण पशुपालन कार्य में राज्य के निवासियों की दिलचस्पी कम होती जा रही है। अतः पहाड़ी इलाके में पशुपालन को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह द्वारा देहरादून में घस्यारी कल्याण योजना को लॉंच किया गया है। योजना के तहत पशु चारे के उत्पादन को बढ़ाया जाएगा। जिससे चारे की प्रति किलो कीमत घटकर रु 3 प्रति किलो होने की उम्मीद है। आइये देखें मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना की पूरी जानकारी।      

Mukhyamantri Ghasyari Kalyan Yojana Eligibility  मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना की पात्रता 

  • उत्तराखंड के मूल निवासी पशुपालक किसान।
  • किसान के पास दुधारू पशु होना आवश्यक है।
  • पशुपालन से जुड़े प्रदेश के बीपीएल श्रेणी के किसान।
  • दुर्गम ग्रामीण पहाड़ी इलाकों की महिला पशुपालकों को योजना का लाभ प्रदान करने में प्राथमिकता दी जायेगी।

 

Mukhyamantri Ghasyari Kalyan Yojana Documents  मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना डाक्यूमेंट्स 

  • आधार कार्ड
  • आयु प्रमाण पत्र
  • राशन कार्ड
  • वोटर आईडी
  • दुधारू पशु होने का प्रमाण पत्र

 

Mukhyamantri Ghasyari Kalyan Yojana Features  मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना की विशेषताएं 

  • योजना का उद्देश्य राज्य में पशुपालन को बढ़ावा देना है। इसके लिए दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र की महिला पशुपालकों को राज्य सरकार की तरफ से एक किट प्रदान की जायेगी। जिसमें दो दरांती, दो कुदाल, एक पानी की बोतल और एक टिफिन होगी।
  • राज्य में संचालित 771 से अधिक सहकारी केंद्र की स्थापना की जायेगी। इन केंद्रों के माध्यम से दुर्गम पर्वतीय इलाको के पशुपालको को कम कीमत पर पशु चारा उपलब्ध करवाया जाएगा।
  • योजना के तहत राज्य के उद्यमसिंह नगर के सितारगंज और खटीमा क्षेत्र में पशु चारे का उत्पादन किया जाएगा। इसके बाद उत्पादित चारे को आधुनिक मशीनों से काट कर पॉलीबैगों में पैक करके जरुरतमंद पशुपालक महिला किसानों को उपलब्ध करवाया जाएगा। जिससे घस्यारी महिलाओं को जंगलों से चारा एकत्रित करने एवं बोझ ढोने से मुक्ति मिल सकेगी।
  • पशु चारे को राज्य के दुर्गम ग्रामीण पहाड़ी इलाको में परिवहन करने के लिए 25 किलो के पॉलीबैग उत्पादन की योजना बनायी गयी है। पशु चारे को लम्बे समय तक ताज़ा बनाये रखने के लिए 25 किलों के एयरटाइट पॉलीबैग में पैक करके पशुपालकों को प्रदान किया जाएगा।
  • उत्तराखंड सहकारिता विभाग द्वारा अभी तक 8 हज़ार मीट्रिक टन पशु चारे का उत्पादन किया जाता है। जिसे बढ़ाकर 50 हज़ार मीट्रिक टन करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अतः योजना के लागू होने पर पशु चारे की कीमत रु 15 प्रति किलो से घटकर रु 3 प्रति किलो होने की उम्मीद जताई जा रही है।
  • उत्तराखंड घस्यारी योजना के संचालन का उद्देश्य पशुपालको को कम कीमत पर पशु चारा उपलब्ध करवाना है। जिससे राज्य में पशुपालन को बढ़ावा मिलने के साथ ही किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

इस योजना की अधिक जानकारी के लिए हमसे जुड़े रहें क्योंकि अभी योजना की केवल घोषणा की गयी है।    

 

 

 

मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना की जानकारी का स्त्रोत    

 

 

अधिक जानकारी के लिए विडियो देखिये  For more information watch video below:    

 

 

 

 

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