How To Fight Against False FIR झूठी एफआईआर से कैसे बचे

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How To Fight Against False FIR झूठी एफआईआर से कैसे बचे

दोस्तों आज देश में चारों और हिंसा का माहौल है। इसके अतिरिक्त आपसी रंजिश, दहेज़ उत्पीडन, मारपीट, चोरी जैसी अपराधिक वारदात भी आये दिन घटित होती रहती है। कई बार दंगे में शामिल न होने पर भी बेगुनाह लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो जाती है। इसके अतिरिक्त कई बार आपसी रंजिश की वजह से किसी की प्रतिष्ठा को हानि पहुंचाने के लिए झूठी एफआईआर दर्ज करवा दी जाती है। यदि इस प्रकार की कोई घटना आपके जान -पहचान वालों के साथ भी घटित होती है। तो इससे बचने के लिए कानून में प्रावधान किया गया है। कानून की धरा 482 के तहत अपनी बेगुनाही की याचिका पत्र हाई कोर्ट में पेश कर सकते हैं। कोर्ट द्वारा जरुरत पड़ने पर मामले की जाँच के लिए जाँच अधिकारी नियुक्त किया जा सकता है। न्यायालय में जाँच चलने के दौरान पुलिस कैद नहीं कर सकेगी। इसके अलावा यदि वारेंट भी जारि हो गया है, तब भी जाँच पर कार्यवाही चलने के दौरान पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकेगी। आइये जाने इस लेख के माध्यम से झूठी एफआईआर से बचने के लिए धारा 482 का कैसे प्रयोग किया जा सकता है ?

 Section 482 kya Hai  धारा 482 क्या है 

यदि आपके खिलाफ कोई झूठी एफ़ाइआर दर्ज करवा देता है। तो खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए आप धारा 482 के तहत न्यायालय में याचिका पत्र पेश किया जा सकता है। यदि चोरी, मारपीट, बलात्कार, दहेज़ प्रताड़ना, दंगे में हिंसा आदि मामूली अपराधिक घटना के मामलों में षड्यंत्र करके फँसाया गया है। तो इन मामलों से सम्बंधित एफ़ाइआर के खिलाफ अपनी बेगुनाही की याचिका पत्र हाईकोर्ट में दायर की जा सकती है। झूठी एफआईआर लिखवाने वाले को 10 वर्ष की सजा का प्रावधान करने के लिये सरकार द्वारा आईपीसी की धारा (भारतीय दंड संहिता) में संशोधन करने पर विचार कर रही है। जिससे झूठी एफआईआर लिखवाने की घटना पर नियंत्रण पाया जा सके।

Action Against False FIR  झूठी एफ़ाइआर के खिलाफ कार्यवाही 

  • झूठी एफआईआर के खिलाफ अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए वकील की सहायता से याचिका पत्र हाई कोर्ट में दाखिल करना होगा।
  • यदि आपके के खिलाफ वारंट जारि हो गया हो, तो सबसे पहले आपको प्रत्याशित बेल लेना होगा। इससे आप गिरफ्तारी से बच सकेंगे।
  • इसके बाद आपको याचिका पत्र की एक फाइल बनानी होगी। जिसमें झूठी एफ़ाइआर के खिलाफ प्रार्थना पत्र, मामले की ऑडियो /विडियो रिकॉर्डिंग, फोटो आदि संलग्न करनी होगी। यदि आपके पास मामले से सम्बंधित कोई गवाह है, तो उसका जिक्र भी याचिक पत्र में कर सकते हैं।
  • फिर मामले की जाँच चलने के दौरान पुलिस आपको गिरफ्तार नहीं कर सकेगी। इसके अतिरिक्त यदि आपके खिलाफ वारंट भी जारि हो चुका है। तब भी मामले की जाँच पर कार्यवाही होने के दौरान पुलिस की गिरफ्तारी से आप बच सकेंगे।
  • कोर्ट द्वारा मामले की जाँच के लिए जाँच अधिकारी भी नियुक्त किया जा सकता है। जाँच की प्रक्रिया पूरी होने के बाद यदि एफआईआर झूठी साबित हुई, तो                   कोर्ट द्वारा एफआईआर ख़ारिज कर दी जायेगी।

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