Zero FIR kya hai जीरो एफआईआर क्या है

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Zero FIR kya hai जीरो एफआईआर क्या है

किसी अपराधिक घटना, दुर्घटनाग्रस्त होने पर बीमा क्लेम एवं सामान की चोरी जैसी घटना के घटित होने पर सर्वप्रथम पुलिस में प्रथम सूचना विवरण (FIR) दर्ज करवाना आवश्यक होता है। एफआई आर एक दस्तावेज़ होता है। जिसके आधार पर पुलिस अपराधी के खिलाफ कार्यवाही शुरू करती है। जीरो एफआईआर गंभीर अपराधिक घटना से सम्बंधित रिपोर्ट  होती है। इसका प्रावधान दिसम्बर 2012 में निर्भया काण्ड के बाद से किया गया है। निर्भाया केस के बाद क्रिमनल कानून में संशोधन के तहत जीरो एफआईआर को जोड़ा गया और  न्यू क्रिमनल एक्ट 2013 बना। एफआई आर (फर्स्ट इनफार्मेशन रिपोर्ट) दर्ज करने से सम्बंधित कार्यवाही करने के लिए अपराधों को दो श्रेणियों में बाँटा गया है –

  • असंज्ञेय अपराध – इस प्रकार के अपराध के अंतर्गत मामूली मारपीट जैसी घटना को शामिल किया जाता है। ऐसे अपराधों की रिपोर्ट दर्ज करवाने पर पुलिस एफआईआर न दर्ज करके मामले की रिपोर्ट मजिस्ट्रेट को रेफर कर देती है। मजिस्ट्रेट अपराधी को समन जारि कर सकता है।
  • संज्ञेय अपराध- इस प्रकार के अपराध के अंतर्गत गंभीर अपराध जैसे – हत्या की वारदात, गोली मारने की घटना, बलात्कार की घटना आदि को शामिल किया जाता है। ऐसी घटनाओं की एफआई आर पुलिस को तुरंत दर्ज करना अनिवार्य होता है।

Zero FIR kya Hota Hai  जीरो एफआईआर क्या होता है

संज्ञेय श्रेणी के अपराध की एफआईआर दर्ज करवाने के लिए जीरो एफआईआर का प्रावधान किया गया है। ऐसे अपराधिक घटना की एफआईआर अपने निकट के पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाई जा सकती है। यदि संज्ञेय श्रेणी में आने वाले अपराध से ग्रस्त व्यक्ति किसी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवाने जाता है। तो पुलिस को रिपोर्ट दर्ज करने के बाद तुरंत जाँच की कार्यवाही शुरू करना अनिवार्य होता है। चाहे शिकायत उस पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र के दायरे से बाहर का हो। ऐसी रिपोर्ट की एफआईआर पुलिस 00 सीरियल नंबर से दर्ज करती है। इसके बाद पुलिस अपराध की घटना घटित होने वाले पुलिस स्टेशन में केस की प्राथमिकी जाँच रिपोर्ट के साथ केस को ट्रान्सफर कर देती है। इस प्रकार के प्राथमिकी रिपोर्ट को जीरो एफआईआर कहते हैं।

यदि पुलिस घटना की रिपोट दर्ज करने से मना करती है। तो पुलिस अधीक्षक से शिकायत की जा सकती है। जीरो एफआईआर दर्ज करने से मना करने वाले पुलिस अधिकारी पर कानूनी कारवाही का प्रावधान है।

प्रत्येक पुलिस स्टेशन का अपना अधिकार क्षेत्र होता है। जिसके अंतर्गत दर्ज एफआईआर की जांच पुलिस द्वारा की जाती है। किन्तु अपराधिक घटना के सबूत नष्ट होने से पहले पुलिस की जांच से सम्बंधित कार्यवाही शुरू करने के लिए एवं शिकायती को न्याय मिलने में देरी न हो, इसके लिए जीरो एफआईआर का प्रावधान किया गया है।

Zero FIR kaise Darj karvaye जीरो एफआईआर कैसे दर्ज करवाया जा सकता है

जीरो एफआईआर दर्ज करवाने के लिए आवश्यक नहीं है कि पीड़ित /पीड़िता खुद पुलिस स्टेशन जाकर रिपोर्ट दर्ज करवाए। कोई अपराधिक घटना का चश्मदीद या पीड़ित /पीड़िता का रिश्तेदार भी नजदीकी पुलिस स्टेशन में जीरो एफआईआर लिखवा सकता है। आपातकालीन स्थिति में पुलिस आपातकालीन नंबर पर कॉल करके अथवा ईमेल के जरिये भी मामले की जीरो एफआईआर दर्ज करवाई जा सकती है।

एफआईआर रिपोर्ट में अपराध की तारीख,समय एवं अपराधी का विवरण दर्ज करवाना अनिवार्य होता है। इसके बाद दर्ज रिपोर्ट की फोटोकॉपी पुलिस स्टेशन से मुफ्त में प्राप्त करना शिकायतकर्ता का अधिकार होता है। एफआईआर की फोटोकॉपी पर पुलिस थाने की मुहर एवं थानाध्यक्ष के हस्ताक्षर होना आवश्यक है। दर्ज किये गए एफआईआर रिपोर्ट पर लिखे नंबर के आधार पर केस पर की जा रही कार्यवाही की स्थिति की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

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