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Yellow Mosaic Disease Management फसलों में पीला मोजेक रोग से बचाव के उपाय
इस बार अच्छे मानसून के कारण खेतों में बार -बार सिचाईं करने की चिंता से जहाँ किसानों को राहत मिली है, वहीं फसलों में पीला मोजेक रोग लगने के कारण उनकी चिंता बढ़ गयी है। भारतीय दलहन अनुसन्धान केंद्र के वैज्ञानिक के अनुसार – पीला मोजेक रोग विषाणु जनित रोग है। इस रोग से ग्रस्त पौधों की पत्तियों पर सफ़ेद मक्खी के बैठने के बाद अन्य पौधों पर बैठने से रोग पुरे खेत की फसलों में फ़ैल जाता है। लगातार वर्षा होने पर इस रोग के संक्रमण का असर फसलों पर नहीं होता है। किन्तु यदि वर्षा तीन – चार दिन के अंतराल पर होती है, तो सफ़ेद मक्खी के द्वारा फसलों में संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ जाती है।
इस रोग का असर दलहन फसलों जैसे – मूँग, सोयाबीन, उड़द के अतिरिक्त मिर्च और बैंगन पर भी होता है। इस रोग से ग्रस्त पौधों को तुरंत उखाड़ कर जला देने से फसलों को संक्रमण से बचाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त रोग फैलाने के लिए उत्तरदायी कीटों को मार देना भी बचाव का उपाय है। आइये जाने पीला मोजेक रोग की पहचान और संक्रमण से बचाव के उपाय की जानकारी।
Yellow Mosaic Disease Lakshan पीला मोजेक रोग के लक्षण
- पौधों में पीलेपन की शुरुआत होना।
- पत्तियों का ऐंठ कर सिकुड़ जाना।
- पौधों की पत्तियों का खुरदरा होना।
- पत्तियों का मोटा होने के साथ हीं गहरे हरे में बदल जाना।
- फसलों की पत्तियों में हरे -पीले चितकबरे रंग के धब्बे दिखाई देना।
Yellow Mosaic Disease Management फसलों में पीला मोजेक रोग से बचाव के उपाय
कृषि उपनिर्देशक कैलाश मीणा के अनुसार- फसलों में पीला मोजेक रोग से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय करना चाहिए :
- पीले मोजेक रोग से फसलों को बचाने के लिए इमिडाक्लोप्रिड कीटनाशक के घोल में बीज को डुबोने के बाद रोपना चाहिए। इस प्रकार बीज का उपचार करने के बाद रोपण करने से पीला मोजेक रोग से पौधे प्रभावित नहीं होते हैं।
- यदि कुछ पौधे हीं रोग से प्रभावित हुए हों, तो रोगग्रस्त पौधों को जड़ से उखाड़ कर खेत से दूर जला देना चाहिए।
- सफ़ेद मक्खी द्वारा संक्रमण को पुरे खेत की फसलों में फैलाने से बचाने के लिए फसल रोपाई के 30 दिन बाद एसिटामिप्रिड अथवा इमिडाक्लोप्रिड कीटनाशक दवा में सल्फेक्स मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।
- पीला मोजेक रोग के लक्षण फसलों पर दिखते हीं मेटासीस्टॉक्स और डायमेथोएट दवा में बराबर मात्रा में पानी मिलाकर खेत में छिड़काव करना चाहिए। एक हेक्टेअर खेत के लिए मेटासीस्टॉक्स एवं डायमेथोएट दवा की 500 मिली मात्रा को 500 मिली पानी में मिला कर घोल तैयार करने के बाद फसलों पर छिड़काव करना चाहिए। इस घोल में स्टीकर अथवा टीपोल ए.जी. मिलाकर छिड़काव करना अच्छा रहता है। छिड़काव को आवश्यकता अनुसार 15 दिनों बाद दोहराना चाहिए।
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