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UP Mid Day Meal Scheme उत्तर प्रदेश मध्यान्ह भोजन योजना
केंद्र और राज्य सरकार के सम्मलित योगदान से मध्यान्ह भोजन योजना शुरू की गयी है। यह योजना देश के सभी राज्यों में सरकारी अथवा सरकारी मान्यता प्राप्त विद्यालयों में संचालित की गयी है। योजना की शरुआत 15 अगस्त 1995 में की गयी थी। तब से लेकर वर्ष 2000 तक सरकारी मान्यता प्राप्त प्राथमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों को कक्षा में 80% उपस्थिति होने पर प्रति महीने 3 kg चावल अथवा गेहूं प्रदान किये जाने का प्रावधान किया गा था। जिसका पूर्णतया लाभ विद्यार्थियों को न प्राप्त होने के कारण उनमें पौष्टिकता की कमी बनी रहती थी। जिस कारण उच्च न्यायालय के दिशा निर्देश के अनुसार योजना में बदलाव वर्ष 2004 से किया गया। योजना के तहत राजकीय सरकारी /सरकारी / परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों को मध्यान्ह भोजन पका हुआ देने का प्रावधान कर दिया गया। वर्ष 2008 से मध्यान्ह भोजन योजना का संचालन देश के सभी सरकारी मान्यता प्राप्त प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में योजना का संचालन प्रारम्भ कर दिया गया। वर्ष 2019 से योजना में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा कुछ बदलाव किया गया है। योजना के तहत मध्यान्ह भोजन बनाने वाले रसोइयों, कुक- कम -हेल्पर के मासिक आय में वृद्धि की गयी है। इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन के लिए खुद के बगीचे बनाने होंगे। आइये जाने योजना की पूरी जानकारी।
Mid-Day Meal Scheme ka Uddeshya मध्यान्ह भोजन योजना का उद्देश्य
- प्रदेश के सरकारी, परिषदीय, राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त विद्यालयों, ई. जी. एस. एवं ए.आई. ई केन्द्रों में पढने वाले बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध करवाना। जिससे बच्चों में शिक्षा ग्रहण करने की बौधिक क्षमता का विकास हो सके।
- मध्यान्ह भोजन उपलब्ध करवाने का मकसद विद्यालयों में बच्चों की संख्या में वृद्धि करना है। ताकि प्राथमिक स्तर पर बच्चों की पढ़ाई छोड़ने की दर पर नियंत्रण पाया जा सके।
- विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन का वितरण बच्चों को एक साथ बैठाकर देने का मकसद सांप्रदायिक एकता की समझ का विकास करना है। जिससे उनमें भाई -चारे की भावना एवं नैतिक मूल्यों की समझ पैदा हो सके।
Change In Mid-Day Meal Scheme मध्यान्ह भोजन योजना में बदलाव
- उत्तर प्रदेश के सरकारी और राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त विद्यालयों तथा एजुकेशन गारंटी स्कीम केंद्र, अल्टरनेटिव इनोवेटिव एजुकेशन केंद्र में कार्यरत रसोइयें एवं रसोइये के सहायक (cook-cum-helper) की मासिक आय में रु 500 की वृद्धि की गयी है। नए नियम के तहत अब रसोइयों एवं कुक-कम – हेल्पर को प्रतिमाह रूपए 1500 मासिक वेतन प्राप्त होगा।
- संस्कृत विद्यालयों के रिटायर्ड शिक्षक मासिक वेतन के आधार पर अपनी सेवा विद्यालयों में प्रदान कर सकेंगे।
- सरकारी विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन के लिए प्रयोग किये जाने वाली अनाज की बोरियों को बेच कर प्राप्त पैसे का प्रयोग शिक्षकों को मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था में करना होगा।
- प्रदेश के सभी सरकारी विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन की पूर्ति के लिए खुद का बगीचा लगाना अनिवार्य होगा। जिससे मध्यान्ह भोजन के लिए सब्जी एवं फल की आपूर्ति की जा सके। मुख्यमंत्री द्वारा विद्यालयों को निर्देश दिया गया है कि विद्यालय के बगीचे का एक फल या एक सब्जी मध्यान्ह भोजन में बच्चों को प्रतिदिन देना आवश्यक होगा।
योजना की अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए विडियो को देखिये For more information watch Youtube video below:
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