National Bamboo Mission (NBM) राष्ट्रिय बाँस मिशन

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National Bamboo Mission (NBM) राष्ट्रिय बाँस मिशन

मोदी सरकार के मिशन वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के क्रम में राष्ट्रिय बांस मिशन योजना का संचालन किया गया है। गौरतलब है कि भारत में बाँस की 135 विभिन्न प्रजातियों की खेती की जाती है। जिसके फलस्वरूप बांस की विविध प्रजातियों के उत्पादन के मामले में भारत  विश्व में चीन के बाद दूसरे नंबर पर है। इसके साथ हीं भारत में लगभग 13.96 मिलियन हक्टेयर क्षेत्र पर बाँस की खेती की जाती है। इसके  बावजूद हमारे देश में बाँस से निर्मित उत्पादों की निर्यात से अधिक आयात करता है। बाँस हमारे दैनिक उपयोग की वस्तुओं के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। खासतौर से  ग्रामीण इलाकों में बांस का उपयोग घर की छत निर्माण करने, कागज, खिलौने, फर्नीचर, गृह निर्माण कार्य, घरेलु उपयोग की वस्तुओं आदि के रूप में अनेक प्रकार से उपयोगी है। इसकी उपयोगिता को देखते हुए मोदी सरकार द्वारा बाँस की खेती को प्रोत्साहित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सरकार द्वारा किसानों एवं बेरोजगार व्यक्तियों को राष्ट्रिय बाँस मिशन के अंतर्गत बाँस की खेती को प्रोत्साहन हेतु सब्सिडी प्रदान की जायेगी। आइये जाने योजना की जानकारी।

National Bamboo Mission ka Uddeshya  राष्ट्रिय बाँस मिशन का उद्देश्य 

  • किसानों की आय में वृद्धि करने, जलवायु परिवर्तन के साथ पर्यावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करने एवं बाँस उद्योगों को उच्च गुणवत्ता की बाँस उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रिय बाँस मिशन को संचालित किया गया है।
  • योजना के तहत वन क्षेत्र के अतिरिक्त निजी भूमि पर भी बाँस की खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा। जिससे देश में बाँस की खेती के क्षेत्र में बढ़ोत्तरी किया जा सकेगा।
  • बाँस के पौधे का रोपण का कार्य सामुदायिक जमीन, खतों की सिंचाई के लिए प्रयुक्त नहरों के किनारे , किसानों के खेतों जल के स्त्रोतों के निकट किये जाने को प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • देश में नए बाँस उद्योगों को विकसित किया जाएगा।
  • बाज़ार की माँग के अनुसार बाँस उद्योग का विकास एवं काश्तकारों के कौशल विकास प्रशिक्षण के माध्यम से बाँस उत्पादों के आयात पर निर्भरता को कम किये जाने का प्रयत्न किया जाएगा ।जिससे किसानो की आय में वृद्धि होगी।

National Bamboo Mission ka kriyanvayan  राष्ट्रिय बाँस मिशन का क्रियान्वयन 

  • राष्ट्रिय बाँस मिशन कृषि उन्नति अम्ब्रेला स्कीम के अंतर्गत राष्ट्रिय सतत कृषि मिशन की एक उपयोजना है।
  • मिशन के तहत मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, उत्तराखंड, कर्नाटक, बिहार,झारखंड, तेलंगाना, केरल, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु ,गुजरात आदि राज्यों में बाँस की खेती एवं उद्योगों के विकास पर ध्यान दिया जाएगा।
  • योजना के क्रियान्वयन एवं निरिक्षण के लिए राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कार्यकारी समिति का गठन किया जाएगा।
  • बाँस की मंडी के विकास एवं ई-व्यापार संरचना को स्थापित करके बाँस से निर्मित उत्पादों के निर्यात में वृद्धि की जायेगी। जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी।
  • गाँवों में किसानों को सहकारी समितियों एवं स्वयं सहायता समूह के माध्यम से ई-व्यापार पोर्टल से जोड़ा जाएगा। ताकि उनके उत्पादों का उचित मूल्य उन्हें प्राप्त हो सके।

Baans ki kheti ko Protsahan ke Liye Subsidy  बाँस की खेती को प्रोत्साहन हेतु सब्सिडी 

  • सब्सिडी का लाभ उदयपुर, बांसवारा, डूंगरपुर, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, राजसमन्द, भीलवाड़ा, झालावाड़, बारां, सवाईमाधोपुर,करौली सिरोही, श्री गंगानगर, जैसलमेर एवं बीकानेर को शामिल किया गया है।
  • सब्सिडी का लाभ सरकारी एवं निजी भूमि पर बाँस के पौधे रोपण पर केंद्र सरकार द्वारा प्रदान किया जाएगा।
  • निजी क्षेत्र/गैर वन क्षेत्र  में बाँस के पौधे रोपण एवं रखरखाव के लिए प्रति हक्टेयर भूमि के हिसाब से रूपए 10,500 अनुदान प्रदान किया जाएगा।
  • वन क्षेत्र में बाँस की खेती एवं रख -रखाव के लिए रूपए 2625 प्रति हेक्टेयर भूमि के हिसाब से अनुदान प्रदान किया जाएगा।
  • अनुदान की राशि तीन किश्तों में प्रदान की जायेगी। पहले किश्त में अनुदान की 50% राशि प्रदान की जायेगी। दूसरे एवं तीसरे किश्त की राशि 25-25% पौधों की जीवित स्थिति के आधार पर प्रदान की जायेगी।

Baans ki kheti Subsidy ke Liye Aavedan    बाँस की खेती की सब्सिडी के लिए आवेदन 

  • आवेदन हेतु राज्य सहायक कृषि अधिकारी /कृषि पर्यवेक्षक अधिकारी से अनुमोदन प्राप्त करना होगा।
  • इसके बाद कृषि सहायक अधिकारी द्वारा सत्यापन करने के बाद सब्सिडी की राशि आवेदक के बैंक खाते या चैक के द्वारा किश्तों में  योजना के मापदंडो के अनुसार प्रदान की जायेगी।

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