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Mahila Ganga Gaay Dairy Yojana महिला गंगा गाय डेरी योजना
उत्तराखंड में महिला गंगा गाय डेरी योजना वर्ष 2014 से शुरू की गयी है। योजना का संचालन ग्रामीण दुग्ध सहकारी समितियों की महिला सदस्यों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने के लिए किया गया है। योजना का उद्देश्य 4795 महिला किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 01 संकर नस्ल की दुधारू गाय उपलब्ध करवाना है। इसके लिए महिला किसानों को गाय की खरीद पर बैंक ऋण एवं अनुदान की सुविधा प्राप्त होगी। इसके अतिरिक्त स्वच्छ दुग्ध उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए लाभार्थी को पशुशाला एवं पशु नाद निर्माण के लिए भी सब्सिडी उपलब्ध होगी। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत द्वारा घोषणा की गयी है कि दुग्ध उत्पादन से जुड़े काश्तकारों को आँचल पशु आहार सस्ती कीमत पर उपलब्ध होगी।
योजना के संचालन का उद्देश्य गौ पालन के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करना है। हाल हीं में डेरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए योजना का लाभ दुग्ध सहकारी समिति के सभी सदस्यों को उपलब्ध करवाना सुनिश्चित किया गया है। किन्तु महिला सदस्यों को प्राथमिकता दी जायेगी। योजना को प्रदेश के 13 जिलों में लागू किया गया है। वर्ष 2018-19 में योजना के तहत 711 पशु क्रय की प्रक्रिया कार्यरूप में परिणित हो चुकी है। आइये जाने योजना के लाभ की विस्तृत जानकारी।
Mahila Ganga Gaay Dairy Yojana Eligibility महिला गंगा गाय डेरी योजना की पात्रता
- योजना का लाभ ग्राम स्तर पर संगठित दुग्ध सहकारी समिति के सदस्यों को प्राप्त होगा।
- लाभार्थी सदस्य का उत्तराखंड का मूल निवासी होना आवश्यक होगा।
- खेतिहर महिला किसानों को प्राथमिकता दी जायेगी।
Mahila Ganga Gaay Dairy Yojana Benefits महिला गंगा गाय डेरी योजना के लाभ
- योजना के तहत 01 संकर नस्ल की दुधारू गाय की खरीद पर बैंक ऋण पर अनुदान का लाभ उपलब्ध होगा।
- रु 52,000 इकाई लागत की खरीदारी पर अनुदान प्राप्त होती है।
- अनुदान के तौर पर राज्य सरकार की और से रु 27,000 और बैंक ऋण रु 20,000 के रूप में प्राप्त किया जा सकता है। लाभार्थी किसान को रु 5,000 अपने पास से लगाना होता है।
- योजनान्तर्गत लाभार्थी को अपने पशुओं के लिए पशुशाला एवं पशु चारा के लिए नाद निर्माण करवाने में भी सब्सिडी उपलब्ध होगी।
- सहकारी दुग्ध समितियों से जुड़े काश्तकारों यानी खेतिहर मजदूरों को आंचल पशु आहार सस्ती कीमत पर मिलेगी। राज्य सरकार द्वारा पशु आहार की कीमत रु 80 प्रति क्विंटल कम कर दिया गया है।
- योजना के तहत गाय खरीदने में सहकारी विभाग की कोई भूमिका नहीं होती है। पशु विक्रेता और क्रेता आपस में सौदा तय करते हैं। पशु क्रय करने के पूर्व सुबह -शाम दो बार क्रेता के सामने गाय का दूध निकाला जाता है। इसके बाद पशु क्रेता के संतुष्ट होने पर हीं पशु क्रय करने की प्रक्रिया पूरी होती है।
- मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के अनुसार इस योजना से प्रदेश में दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होने के साथ हीं पलायन को रोकने में भी मदद मिलेगी।
योजना की पीडीऍफ़ फाइल देखने के लिए लिंक पर क्लिक करिए।
अधिक जानकारी के लिए विडियो देखिये For more information watch video below:
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