freedom of religion bill 2020, धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश 2020, dharmik swatanrta adhyadesh, freedom of religion ordinance, mp govt scheme, dharmik swatantra bill kya hai, mukhyamantri yojana, pradhanmantri yojana,sarkari yojana, kendriya yojana
Table Of Content
Madhya Pradesh Freedom of Religion Ordinance,2020 मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश 2020
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मंत्रिमंडक की बैठक में धार्मिक स्वतंत्रता बिल 2020 को मंजूरी दी गयी है। मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश में जारी मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्रय अधिनियम 1968 में कुछ बदलाव किया गया है। नए बिल के अनुसार नाबालिग, महिला एवं एससी /एसटी समुदाय के लोगों को जबरन धर्म परिवर्तन करने के लिए मजबूर करने वालों पर आर्थिक दंड एवं कारागार की सजा का प्रावधान किया गया है। अब मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्रय अधिनियम 1968 को धार्मिक स्वतंत्रता बिल 2020 के नाम से जाना जाएगा। इस नए बिल को प्रदेश में लागू करने का उद्देश्य लव जिहाद कानून के तहत धर्म परिवर्तन के मकसद से किये गए विवाह को ख़ारिज करना है। आइये जाने मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता बिल 2020 की जानकारी।
Madhya Pradesh Freedom of Religion Ordinance,2020 मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश 2020
मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता बिल,2020 के प्रावधन इस प्रकार हैं :
- किसी प्रकार के प्रलोभन, धमकी,कपट,षड्यंत्र से अथवा धर्म छिपाकर किया गया विवाह अमान्य होगा। अर्थात शून्य माना जाएगा।
- क़ानून विरुद्ध किये गए धर्म परिवर्तन पर न्यूनतम 1 वर्ष और अधिकतम 5 वर्ष की जेल का प्रावधान होगा।
- महिला , नाबालिग, अनुसूचित जाति/जन जाति का क़ानून के विरुद्ध धर्म परिवर्तन किये जाने पर न्यूनतम 2 वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष के कारावास की सजा होगी। इसके साथ हीं रु 50 हज़ार के जुर्माना का भी प्रावधान है।
- अपना धर्म छिपाकर धर्म परिवर्तन करने पर न्यूनतम 3 वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष की जेल और रु 50,000 जुर्माना होगा।
- एक हीं समय में दो या दो से अधिक लोगों का धर्म परिवर्तन करने पर न्यूनतम 5 वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष के कारावास की सजा होगी। इसके अतिरिक्त न्यूनतम 1 लाख रूपये का जुर्माना लगेगा।
- एक से अधिक बार कानून का उल्लंघन करने पर न्यूनतम 5 वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष जेल की सजा का प्रावधान होगा।
- धर्म परिवर्तित करने के बाद अपने पैतृक (मूल) धर्म में वापसी को धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा।
- धर्म परिवर्तन सम्बन्धी मामलों में परिजन द्वारा कानूनी रूप से शिकायत दर्ज करवाना आवश्यक होगा। दर्ज शिकायत के फलस्वरूप अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होगा। जिसकी सुनवाई सेशन कोर्ट अथवा विशेष अदालत में होगी।
- विधयेक में प्रावधान के अनुसार इस क़ानून के तहत दर्ज केस की जाँच सब -इंस्पेक्टर से नीचे के पुलिस कर्मी नहीं करेंगे।
- दर्ज केस में अपराधी को अपने निर्दोष होने का सबूत पेश करना होगा।
- पीड़ित महिला और पैदा हुए बच्चे को भरण -पोषण हासिल करने का अधिकार होगा।
- पीड़िता के बच्चे को अपने पिता की संपत्ति में उत्तराधिकार का दावा करने का अधिकार होगा।
- धर्म परिवर्तन कराने के 2 महीने पूर्व कलेक्टर को सूचित करना अनिवार्य होगा। बिना सूचित किये धर्म परिवर्तित करने पर 3-5 वर्ष तक के कारावास की सजा एवं रु 50,000 अर्थदंड का प्रावधान होगा।
- धर्म परिवर्तन कराने वाली संस्था और उपस्थित लोग भी आरोपी के बराबर की कानूनी कार्यवाही के दायरे में आयेंगे। धर्म परिवर्तन कराने के लिए जिम्मेदार संस्था का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का प्रावधान किया गया है।
- मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता बिल 2020, पुरे राज्य में 9 जनवरी 2021 से लागू कर दी गयी है।
मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेध 2020 पीडीएफ की जानकारी के लिए लिंक पर क्लिक करिए।
अधिक जानकारी के लिए विडियो देखिये For more information watch video below:
अन्य योजनायें पढ़िए हिंदी में :
तेंदुपत्त संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना 2021
हरियाणा परिवार पहचान पत्र कैसे आवेदन करें
बिहार में जमीन का पुराना डाक्यूमेंट्स ऑनलाइन कैसे निकाले