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म.प्र. अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण योजना । MP Anusuchit jati/janjati atyachar nivaran yojana
मध्य प्रदेश राज्य में अनुसूचित जनजाति वर्ग की जनसंख्या प्रदेश की जनसंख्या का 21.10 प्रतिशत है। प्रदेश की वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में अनुसूचित जाति की जनसँख्या 153.16 लाख है। इस आधार पर यहाँ का हर पांचवा व्यक्ति अनुसूचित जनजाति वर्ग का है। अतः प्रदेश में इस वर्ग की मानसिक ,शारीरिक उत्पीड़न निवारण योजना वर्ष 1985 से संचालित है।
राज्य में अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के प्रति अत्याचार को समाप्त करने हेतु वर्ष 2016 में इस योजना का संशोधित रूप प्रदेश में लागू किया गया है।
इस योजना का उद्देश्य (Yojana Ka Uddeshy):
अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण योजना के तहत यदि किसी गैर जाति के व्यक्ति अथवा समूह द्वारा अनुसूचित जाति, जनजाति के व्यक्ति अथवा परिवार को शारीरिक/मानसिक/संपत्ति के मामले में उत्पीड़ित किया जा रहा हो। पीड़ित व्यक्ति / परिवार निर्धन एवं असहाय हो और सरकार की तरफ से इस प्रकार की घटना के संबध में किसी प्रकार का लाभ न ले रहा हो। इस दशा में अनुसूचित जाति, जनजाति के पीड़ित को राज्य सरकार की तरफ से तुरंत सहायता एवं राहत पहुँचाने हेतु इस योजना का संचालन किया गया है।
योजना के अंतर्गत लाभ लेने के लिए पात्रता (Yojana ke labh hetu Patrta):
- गैर अनुसूचित व्यक्ति द्वारा अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्ति अथवा परिवार को शारीरिक/मानसिक /संपत्तिक उत्पीड़न करने पर अनुसूचित जाति/जनजाति योजना के लाभ का पात्र मन जायेगा।
- गैर अनुसूचित व्यक्ति द्वारा अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्ति को अखाद्य पदार्थ खाने अथवा पीने को मजबूर किये जाने पर पीड़ित इस योजना के लाभ का पात्र होगा।
- यदि गैर अनुसूचित जाति के व्यक्ति द्वारा अनुसूचित जाति/ जनजाति की महिला का बलात्कार करने के उपरांत महिला की मृत्यु हो जाती है तो इस दशा में महिला का पति/बच्चा योजना अंतर्गत लाभ का पात्र मन जायेगा।
- यदि गैर अनुसूचित व्यक्ति द्वारा अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्ति के रोज़गार से सम्बंधित औजर/उपकरण या मशीन नष्ट किया गया हो।
इस योजना के तहत पीड़ित उसके आश्रित एवं साक्षियों को दिए जाने वाली सहायता एवं राहत निम्नलिखित है :
- भरण पोषण व्यय
- यात्रा भत्ता एवं परिवहन व्यय
- आहार व्यय
- चिकित्सा सुविधा
- रोज़गार
- बच्चों की शिक्षा
- सामाजिक पुनर्वास
- अत्याचार से पीड़ित विकलांग हो गया हो तो कृत्रिम अंग के लिए आवश्यक सहायता राशि उपलब्ध करायी जाएगी।
क्रम संख्या | अपराध का नाम | राहत की न्यनतम राशि |
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अखाद्य पदार्थ खाने या पीने के लिए मजबूर करने पर
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रूपए 25000 या उससे अधिक अपराध के गंभीरता के आधार पर 25% आरोप पत्र न्यायालय में देने पर 75% निचली न्यायालय दोष सिद्ध होने पर |
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रूपए 25000 जहाँ जल की आवश्यकता हो वहां सरकारी खर्च पर पुनः व्यवस्था करवाई जाएगी |
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बेगार / बालश्रम /बन्दुआ मजदूरी के लिए मजबूर करने पर
देय राशि रूपए 25000 या उससे अधिक न्यायालय में आरोप पत्र देने पर 25% एवं 75% आरोप सिद्ध होने पर
मतदान देने से रोकने पर
रूपए 25000 अपराध के गंभीरता पर निर्भर
बेवजह दोष आरोपित करने या तंग करने पर
रूपए 25000 अपराध के गंभीरता पर निर्भर
महिला की लज्जा भंग करने या लैंगिक शोषण करने पर
देय राशि रूपए 50,000
चिकित्सा जाँच के बाद 50% तथा केस की समाप्ति पर शेष 50%
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पानी गन्दा करने
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परम्परागत मार्ग से वंचित करना
रूपए 1,00,000
50% आरोप पत्र न्यायालय में देने पर,
50% निचली न्यायालय में दोष सिद्ध होने पर
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हत्या मृत्यु पर
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परिवार के न कमाने वाले सदस्य
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कमाने वाले सदस्य
1.रूपए 1 लाख
2.रूपए 2 लाख
मकान जलाने पर
सरकार द्वारा इंदिरा आवास में मकान दिया जायेगा
जो मकान जला दिया गया उस स्थान पर सरकार द्वारा ईट/पत्थर से मकान बनाने की व्यवस्था की जाएगी
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26 जनवरी 2016 से लागू अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम में किये गए संशोधन की विशेषताएं (26 jan2016 mein sanshodhit adhiniyam ki visheshtayen ) :
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- सिर, मूँछों को मुडना, चप्पल की माला पहनना, सिंचाई सुविधा या वन अधिकारों से वंचित करना, कब्र खोदने को मजबूर करना,मानव या जानवर के शरीर को नष्ट करना या जानवर के मृत शरीर को एक जगह से दुसरे जगह ले जाने को मजबूर करना आदि कार्य अनुसूचित जाति/जनजाति के सदस्यों के लिए अपमानजनक है।
- मैला ढोने का आदेश देना, जाति के नाम से गाली देना, जादू -टोना सम्बन्धी अत्याचार करना, देवदासी कहकर अनुसूचित जाति/जनजाति की महिलाओं को बुलाना, मतदान में नामांकन भरने से रोकना, आर्थिक एवं सामाजिक बहिष्कार लगाना, महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाना आदि अनुसूचित जाति/ जनजाति के लिए अपमानजनक है।
- अनुसूचित जाति/जनजाति के सदस्यों द्वारा पवित्र वस्तुओं को चुने पर अपवित्र मानना, यौन प्रकृति पर व्यंगात्मक शब्दों, कार्यों या इशारों का प्रयोग करना।
- अनुसूचित जाति/जनजाति के सदस्यों को चोट, अपहरण, धमकी जैसे आईपीसी अपराधों के लिए 10 वर्ष से कम की सजा का प्रावधान किया गया है यह पिओए अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध है।
योजना के अंतर्गत अत्याचार निवारण हेतु निम्नलिखित उपाय किये जाने का प्रावधान किया गया है (Atyachar Nivaran hetu kiye jane wale upaye) :
- अपराधो के मामलों के त्वरित निवारण हेतु कार्यकारिणी की विशेष आदालतों का गठन किया जायेगा।
- आरोप पत्र दाखिल होने के दो महीने के भीतर निवारण करने के लिए एवं अपराध का प्रत्यक्ष संज्ञान लेने के लिए विशेष आदालतो और वशेष लोक अभ्योजकों की नियुक्ति करने का प्रावधान किया गया है।
योजना की अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए विडियो को देखिये For more information watch Youtube video below:
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- म.प्र. मुख्यमंत्री कृषि उत्पादकता योजना
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